खिलाफत आंदोलन कब शुरू हुआ था?

by Wholesomestory Johnson 30 views

खिलाफत आंदोलन: कारण, शुरुआत और प्रभाव

नमस्ते! आज हम बात करेंगे खिलाफत आंदोलन के बारे में। यह आंदोलन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और आज हम इसके शुरू होने का कारण, समय और इसके प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।

सही उत्तर

खिलाफत आंदोलन 1919 में शुरू हुआ था।

विस्तृत स्पष्टीकरण

खिलाफत आंदोलन भारतीय मुसलमानों द्वारा प्रथम विश्व युद्ध के बाद शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण आंदोलन था। यह आंदोलन तुर्की के खलीफा के समर्थन में शुरू किया गया था, जिसे भारतीय मुसलमान अपना धार्मिक नेता मानते थे। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य खलीफा के पद को फिर से स्थापित करना और ऑटोमन साम्राज्य को विघटन से बचाना था।

खिलाफत आंदोलन के कारण

खिलाफत आंदोलन के कई महत्वपूर्ण कारण थे, जिन्होंने इसे शुरू करने और आगे बढ़ाने में मदद की। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918): प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने जर्मनी के साथ मिलकर मित्र राष्ट्रों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। युद्ध में तुर्की की हार के बाद, मित्र राष्ट्रों ने ऑटोमन साम्राज्य को विभाजित करने का फैसला किया।
  2. खलीफा के पद की समाप्ति का खतरा: मित्र राष्ट्रों द्वारा ऑटोमन साम्राज्य को विभाजित करने की योजना के कारण भारतीय मुसलमानों को यह डर था कि खलीफा के पद को समाप्त कर दिया जाएगा। खलीफा को इस्लामी दुनिया का धार्मिक और राजनीतिक नेता माना जाता था, और भारतीय मुसलमान उन्हें अपना खलीफा मानते थे।
  3. भारतीय मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं: भारतीय मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं खलीफा के पद से जुड़ी हुई थीं। वे खलीफा के पद को इस्लामी एकता का प्रतीक मानते थे और इसे किसी भी कीमत पर बचाना चाहते थे।
  4. अली बंधुओं का नेतृत्व: खिलाफत आंदोलन को अली बंधुओं - मौलाना मोहम्मद अली जौहर और मौलाना शौकत अली - का नेतृत्व मिला। उन्होंने भारतीय मुसलमानों को एकजुट किया और खिलाफत आंदोलन को एक मजबूत राजनीतिक ताकत बनाया।

खिलाफत आंदोलन की शुरुआत

खिलाफत आंदोलन की शुरुआत 1919 में हुई थी। इस आंदोलन को शुरू करने में कई घटनाओं और सम्मेलनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

  1. खिलाफत कमेटी का गठन: 1919 में, भारतीय मुसलमानों ने खिलाफत कमेटी का गठन किया। इस कमेटी का उद्देश्य खिलाफत के मुद्दे को उठाना और मुसलमानों को एकजुट करना था।
  2. अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन: नवंबर 1919 में, दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में, खिलाफत आंदोलन को औपचारिक रूप से शुरू करने का निर्णय लिया गया।
  3. गांधीजी का समर्थन: महात्मा गांधी ने भी खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने इसे हिंदू-मुस्लिम एकता का एक सुनहरा अवसर माना और कांग्रेस को भी इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया।

खिलाफत आंदोलन के मुख्य उद्देश्य

खिलाफत आंदोलन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे:

  • खलीफा के पद को बहाल करना: खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा के पद को फिर से स्थापित करना था। भारतीय मुसलमान चाहते थे कि मित्र राष्ट्र खलीफा के पद को समाप्त न करें और उन्हें अपने धार्मिक कार्यों को करने की स्वतंत्रता दें।
  • ऑटोमन साम्राज्य को बचाना: खिलाफत आंदोलन का दूसरा मुख्य उद्देश्य ऑटोमन साम्राज्य को विघटन से बचाना था। भारतीय मुसलमान चाहते थे कि मित्र राष्ट्र ऑटोमन साम्राज्य को विभाजित न करें और इसे अपनी पूर्व स्थिति में बहाल करें।
  • मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना: खिलाफत आंदोलन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना था। भारतीय मुसलमान चाहते थे कि उन्हें अपने धर्म का पालन करने और धार्मिक कार्यों को करने की पूरी स्वतंत्रता हो।
  • हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना: खिलाफत आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को हिंदू और मुसलमानों को एक साथ लाने का एक अवसर माना और इसका समर्थन किया।

खिलाफत आंदोलन की गतिविधियाँ

खिलाफत आंदोलन के दौरान कई महत्वपूर्ण गतिविधियाँ हुईं, जिन्होंने इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में मदद की।

  1. विरोध प्रदर्शन और हड़तालें: खिलाफत आंदोलन के दौरान, भारतीय मुसलमानों ने कई विरोध प्रदर्शन और हड़तालें कीं। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से खलीफा के पद को बहाल करने और ऑटोमन साम्राज्य को बचाने की मांग की।
  2. समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का प्रकाशन: खिलाफत आंदोलन के नेताओं ने कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं का प्रकाशन किया। इन समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के माध्यम से, उन्होंने खिलाफत के मुद्दे को उठाया और लोगों को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
  3. जनसभाएं और सम्मेलन: खिलाफत आंदोलन के दौरान, कई जनसभाएं और सम्मेलन आयोजित किए गए। इन जनसभाओं और सम्मेलनों में, खिलाफत के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया गया और आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई गई।
  4. खिलाफत कोष की स्थापना: खिलाफत आंदोलन को चलाने के लिए, खिलाफत कोष की स्थापना की गई। इस कोष में, लोगों ने दान दिया और आंदोलन को आर्थिक रूप से समर्थन प्रदान किया।

खिलाफत आंदोलन का प्रभाव

खिलाफत आंदोलन का भारतीय इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा।

  1. हिंदू-मुस्लिम एकता: खिलाफत आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी के समर्थन ने इस आंदोलन को और भी मजबूत बना दिया।
  2. राष्ट्रीय आंदोलन को गति: खिलाफत आंदोलन ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को गति प्रदान की। इस आंदोलन के माध्यम से, लोगों में राजनीतिक जागरूकता बढ़ी और वे स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित हुए।
  3. मुस्लिम लीग का उदय: खिलाफत आंदोलन के बाद, मुस्लिम लीग का उदय हुआ। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें राजनीतिक रूप से संगठित करने का काम किया।
  4. विभाजन की नींव: कुछ इतिहासकारों का मानना है कि खिलाफत आंदोलन ने भारत के विभाजन की नींव रखी। इस आंदोलन के दौरान, मुसलमानों में अलग पहचान की भावना बढ़ी, जो बाद में विभाजन का कारण बनी।

खिलाफत आंदोलन की विफलता

खिलाफत आंदोलन 1924 में विफल हो गया जब तुर्की के नए नेता मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने खलीफा के पद को समाप्त कर दिया। इसके साथ ही, खिलाफत आंदोलन का उद्देश्य समाप्त हो गया और यह आंदोलन धीरे-धीरे समाप्त हो गया।

खिलाफत आंदोलन का मूल्यांकन

खिलाफत आंदोलन एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जिसने भारतीय इतिहास पर गहरा प्रभाव डाला। इस आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया और राष्ट्रीय आंदोलन को गति प्रदान की। हालांकि, यह आंदोलन अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल रहा, लेकिन इसने भारतीय मुसलमानों को राजनीतिक रूप से जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य बातें

  • खिलाफत आंदोलन 1919 में शुरू हुआ था।
  • यह आंदोलन तुर्की के खलीफा के समर्थन में शुरू किया गया था।
  • इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य खलीफा के पद को फिर से स्थापित करना था।
  • खिलाफत आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया।
  • यह आंदोलन 1924 में विफल हो गया जब तुर्की में खलीफा के पद को समाप्त कर दिया गया।